FDI Kya Hai? FDI Full Form In Hindi
FDI Full Form - Foreign Direct Investment (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश)
आसा करता हु आप अच्छा कर आहे होंगे। हेलो दोस्तों एक बार फिर से स्वगात है आपका हमारी एक और नयी फुल फॉर्म की जानकरी में जिसमे आज हम बात करेंगे FDI के उप्पर की आखिर ये FDI Kya Hai, (FDI Full Form In Hindi) FDI के लाभ और हानि, FDI के प्रकार? इन सभी सवालो के जवाब जानने के लिए बने रहिये हमारे साथ इस पोस्ट में लास्ट तक।
FDI Other Full Forms:
FDI Full Form in Hindi - प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
FDI Full Form in Banking - Foreign Direct Investment
FDI Full Form in Medical - First Dorsal Interosseous
FDI Full Form in Dentistry - Federation Dentaire Internationale
FDI Full Form in Marathi - थेट परकीय गुंतवणूक
FDI Full Form in Food - Foreign direct investment
FDI kya hai?
(FDI Full Form In Hindi) FDI investment से investors को दूसरे देश की उस कंपनी के प्रबंधन मे कुछ हिस्सा हासिल हो जाता है जिसमें उसका पैसा लगता है माना यह जाता है कि इसी निवेश को एफडीआई का दर्जा दिलाने के लिए कम से कम कंपनी में विदेशी investor को 10 फ़ीसदी शेयर खरीदना पड़ता है इसके साथ उस Invest वाली Company में voting right भी हासिल करना पड़ता है।
कोई भी देश आर्थिक रूप से तब मजबूत माना जाता है जब उसे दूसरे देशों का विश्वास प्राप्त होता है किसी एक देश की कंपनी का दूसरे देश में किया गया निवेश प्रत्यक्ष विदेश निवेश एफडीआई चलाता है और इसके लिए देश में ऐसे कानूनों को बनाया जाता है ताकि दूसरे देश निवेश के लिए आसानी से आकर्षित हो सके जिसे जो भी कंपनी अपना निवेश करें इनको भी लाभ हो और किस देश में निवेश किया गया है उनको भी लाभ हो सके। FDI Full Form In Hindi
FDI के प्रकार:
* Greenfield Investments.
Greenfield निवेश के जरिये दूसरे देश में एक नई कंपनी स्थापित की जाती है।
* Portfolio Investment.
पोर्टफोलियो निवेश के जरिये किसी विदेशी कंपनी के शेयर खरीद लिए जाते हैं या उसके स्वामित्व वाले विदेशी कंपनी का अधिग्रहण कर लिया जाता है।
FDI के लाभ और हानि?
* लाभ
* रोजगार और आर्थिक विकास में वृद्धि।
* मानव संसाधन विकास।
* पिछड़े क्षेत्रों का विकास।
* वित्त और प्रौद्योगिकी का प्रावधान।
* निर्यात में वृद्धि।
* विनिमय दर स्थिरता।
* आर्थिक विकास की उत्तेजना।
* हानि
* कुटीर और लघु उद्योगों का गायब होना।
* प्रदूषण में योगदान।
* विनिमय संकट।
* सांस्कृतिक क्षरण।
* राजनीतिक भ्रष्टाचार।
* अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति।
* व्यापार घाटा।
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